सोमवार, 6 फ़रवरी 2023

मेथी की खेती कैसे करें? मेथी की खेती की पूरी जानकारी

 मेथी की खेती कैसे करें? मेथी की खेती की पूरी जानकारी


Methi ki Kheti (Fenugreek Farming): मेथी की खेती (Fenugreek Cultivation) हारी साग, दानो और पत्तियां के लिए की जाती है. जिनकी बाजार में बहुत मांग रहती है. मेथी की खेती उत्तर प्रदेश, राज्यस्थान, तामिलनाडू, मध्य प्रदेश, गुजरात, पंजाब, राजस्थान और भारत के कई अन्य राज्यों में उगाई जाती है लेकिन राजस्थान मेथी का मुख्य उत्तपदक राज्य है. इसके पौधों की उचाई करीब 2-3 फीट तक बढ़ जाती है. मेथी की खेती की खेत कैसे की जाती है methi ki kheti kaise kare इसकी सम्पूर्ण जानकारी के लिए इस आर्टिकल को जरूर पढ़े जिससे मैथी की खेत करने में आपको मदद मिलेगी.






मेथी की खेती कैसे करें? 
मेथी की खेती से बढ़िया पैदावार लेने के लिए उन्नत किस्मों जैसे-पूसा कसूरी, आरटीएम- 305, राजेंद्र क्रांति एएफजी-2 और हिसार सोनाली आदि का चुनाव करना चाहिए. बुवाई से पहले खेती की पूरी जानकारी प्राप्त कर लेनी चाहिए. मेथी की बुवाई कौन से महीने में की जाती है? इन सब की जानकरी लेनी चाहिए जिससे आपको मेथी की खेती करने में कोई दिक्कत नहीं आएगी.

मेथी की खेती की पूरी जानकारी
मेथी की पत्तियों से लेकर साग, दाने तक बजार में बिक जाते है. इसलिए इसकी खेत से अच्छा मुनाफा कमाया जा सकता है.
इस लेख के जरिये मेथी की बुवाई कर की जारी है? एक बीघा में मेथी कितनी होती है? इसके लिए कितने पानी की जरुरत होती है. मेथी की फसल में कौन सा खाद डालें. मेथी की फसल कितने दिन में तैयार हो जाती है आदि की जानकरी नीचे दी जा रही है जरूर पढ़ें

मेथी की खेती के लिए उपयुक्त जलवायु
मेथी की खेती (methi ki kheti) के लिए ठंडी जलवायु सबसे बढ़िया मानी जाती है. इसमें ठंड यानी पाला सहन करने क्षमता अन्य फसलों के मुकाबले अधिक होती है. इसकी खेती के लिए सामन्य वर्षा वाले क्षेत्र सही माने गए है.

मेथी की खेती के लिए उपयुक्त मिट्टी
मेथी की खेती (cultivation of fenugreek) के लिए कार्बनिक पदार्थों से भरपूर दोमट तथा बलुई दोमट मिट्टी सबसे उत्तम मानी गई है. इसके आवला कसूरी मेथी की खेती दोमट मटियार मिट्टी में भी की जा सकती है. यह अन्य फसलों के मुकाबले क्षारीयता को सहन कर सकती है.

मेथी की खेती के लिए कैसे तैयार करें खेत
मेथी की खेती के पलटने वाले हल से खेत की गहरी जुताई खेत को कुछ दिन के लिए खुला छोड़ दें ताकि खेत में मौदूज खरपतवार और कीट नष्ट हो जायेंगे. इसके बाद 15-20 टन प्रति एकड़ एक हिसाब से गोबर की खाद डालकर खेत की जुताई कर पलेवा करें. खेत की ऊपरी सतह सूख जाने के बाद फिर से 2-3 आडी-तिरछी गहरी जुताई कर करे. आखिर में रोटावेटर चलाकर मिट्टी को भुरभुरी बनाकर खेत को बिजाई के लिए समतल कर लें.

मेथी की खेती का समय
मैदानी इलाकों में मेथी की खेती के लिए सितंबर से मार्च तक बुवाई कर सकते है. जबकि पहाड़ी क्षेत्रों इसकी खेती जुलाई से लेकर अगस्त तक की जा सकती है.
अगर आप मेथी की खेती साग के लिए कर रहे है तो मेथी की बुआई 8-10 के अंतराल पर करें. जिससे आप ताज़ी साग
प्रति दिन बाजार में बेच सकेंगे. भाजी के लिए खेती की बुवाई नवंबर के आखिर तक कर सकते है.

बीज की मात्रा
एक एकड़ खेत में बिजाई के लिए 12 किलोग्राम प्रति एकड़ से बीजों की आवश्यकता होती है.

कैसे करें मेथी की बुवाई?
सामन्यतः मेथी की बुवाई छिडक़वा विधि से की जाती है. लेकिन वर्तमान समय इसकी खेती बैड पर की जाने लगी है. वूबाई के समय पंक्ति से पंक्ति के बीच की दूरी 22.5 सेंटीमीटर और बैड पर 3-4 सेंटीमीटर की गहराई पर बीज बोएं.
बिजाई से पहले बीज को 10 से 12 घंटे के लिए पानी में भिगो दें ताकि मेथी के दाने जल्दी अंकुरित हो सके.




बीज का उपचार
बीजों को मिट्टी में पैदा होने वाले कीट और बीमारियों से बचाने के लिए थीरम 4GM और कार्बेनडाज़िम 50% डब्लयु पी three ग्राम प्रति किलोग्राम की दर से बीज को उपचार करें. रासायनिक उपचार के बाद एज़ोसपीरीलियम 600 ग्राम + ट्राइकोडरमा विराइड 20 ग्राम प्रति एकड़ से प्रति 12 किलो बीजों का उपचार करें.

मेथी की उन्नत किस्में और उनकी विशेषताएं
भारत में मेथी की विभ्भिन किस्में पाई जाती है. जिनमें में कुछ किस्मों की जानकारी दी जा रही है.
पूसा कसूरी मेथी – यह वैरायटी भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद दिल्ली ने विकसित किया है. इसकी खेती हरी साग के लिए किया जाता है. इसकी कटाई 2-3 बार की जा सकती है. इस की औसत पैदावार 35-40 क्विंटल प्रति हेक्टेयर तक हो जाती है.
पूसा अर्ली बंचिंग- इस किस्म को आईसीएआर ने विकित किया है. यह जल्द पकने वाली वैरायटी है. इसकी साग के लिए 2-3 बार कटाई की जा सकती है. इस वैरायटी की फलियां 6-8 सेंटीमीटर लंबी होती हैं. इस वैरायटी को तैयार होने में four महीने लगते है.
हिसार सोनाली- इस वैरायटी की खेती राजस्थान, हरियाणा तथा आसपास में खेती की जाती है. यह वैरायटी जड़ गलन रोग एवं धब्बा रोग के प्रति मध्यम सहनशील है. इस किस्म को तैयार होने में one hundred forty से a hundred and fifty दिन तक लग जाते है. इस वैरायटी प्रति हेक्टेयर भूमि से 30-40 क्विंटल तक पैदावार ली जा सकती है.
आर.एम.टी 305- यह बौनी वैरायटी है इस वैरायटी की फलियां जल्दी पाक जाती है. इस वैरायटी से प्रति हेक्टेयर खेत से 20-30 क्विंटल तक पैदावार ली जा सकती है.
कश्मीरी मेथी- इस वैरायटी की विशेषताएं पूसा अर्ली बंचिंग से मेल कहती है. यह वैरायटी ठंड जयदा सहन कर लेती है.
हिसार सुवर्णा – चौधरी चरणसिंह हरियाणा कृषि विश्वविद्यालय हिसार ने इस वैरायटी को विकसित किया है. इसकी औसतन पैदावार sixteen क्विंटल प्रति हेक्टेयर है.
इन किस्मों के अलावा मेथी की अन्य उन्नतशील किस्में – आरएमटी 1, आरएमटी 143 और 365, हिसार माधवी, हिसार सोनाली और प्रभा भी अच्छी उपज देती हैं.


खाद एवं उर्वरक
मेथी की बिजाई के समय 5 किलो नाइट्रोजन (12 किलो यूरिया), eight किलो पौटेशियम (50 किलो सुपर फासफेट) प्रति एकड़ की दर से डालें.
अंकुरन के 15-20 दिन बाद- अच्छी वृद्धि के लिए ट्राइकोंटानोल हारमोन 20 मि.ली. प्रति 10 लीटर पानी में मिलाकर छिड़काव करें.
बिजाई के 20-25 दिन बाद- फसल की अच्छी वृद्धि के लिए एनपीके (19:19: 19) seventy five ग्राम प्रति 15 लीटर पानी की स्प्रे करें.
बिजाई के 40-50 दिन बाद- अच्छी उपज प्राप्त करने के लिए ब्रासीनोलाइड 50 मि.ली. प्रति एकड़ one hundred fifty लीटर पानी में मिलाकर स्प्रे करें
बिजाई के forty five और sixty five दिन- इसकी दूसरी स्प्रे 10 दिनों के बाद करें. कोहरे से होने वाले हमले से बचाने के लिए थाइयूरिया one hundred fifty ग्राम प्रति एकड़ की one hundred fifty लीटर पानी में मिलाकर स्प्रे करें.

मेथी की फसल की सिचाई

मेथी की बुवाई के समय खेत में नमी होनी चाहिए जिससे अंकुरण में आसानी होगी. मेथी की फसल से उचित पैदावार लेने के लिए तीन चार सिचाई आवश्यक्तानुसार करनी चाहिए. मेथी की फली बनने के समय पानी की कमी नहीं होनी चाहिए. इससे पैदावर पर असर पड़ेगा.

मेथी की फसल में खरपतवार नियंत्रण
मेथी की फसल में खरपतवार की रोकथाम बहुत जरुरी है इसके लिए बिजाई के 20-25 दिन बाद पहली नराई-गुड़ाई करनी चाहिए तथा दूसरी 30-35 दिनों के बाद करें. रासायनिक तरीकों से खरपतवार नियंत्रण करने के लिए फलूक्लोरालिन 300 ग्राम प्रति एकड़ की दर कर सकते है. इसके अतरिक्त पैंडीमैथालिन 1.3 लीटर प्रति एकड़ को 200 लीटर पानी में मिलाकर बिजाई के 1-2 दिनों बाद मिट्टी में नमी बने रहने पर छिड़काव करें. अधिक जानकारी अपने कृषि वैज्ञानिक से लेने.

मेथी की कब करें कटाई?
मेथी को साग के लिए उगने वाले किसान 30-35 दिन बाद कटाई कर सकते है. मेथी की फसल 140-150 दिनों में तैयार हो जाती है. मेथी एक दानो के लिए उगाई गई फसल की कटाई तब करें जब मेथी के निचले पत्तों का रंग पीला पढ़कर झड़ने लगे. दरांती से कटाई करने के बाद फसल की गठरी बनाकर 7-8 दिन घूप में सुखाएं. सूखने पर इसके दानो को निकल ले.



मेथी की खेती में लागत और कमाई
यदि मेथी की बुवाई बीज के लिए की गई है तो एक बार कटाई के बाद औसतन पैदावार 6-8 क्विंटल प्रति हेक्टेयर तक हो सकती है. यदि मेथी की की फसल की 4-5 कटाई की जाए तो यही पैदावार घट कर लगभग 1 क्विंटल प्रति हेक्टेयर तक रह जाती है.

यदि मेथी की बुवाई यदि साग या हरी पत्तियों के लिए की गई है तो 70-80 क्विंटल प्रति हेक्टेयर पैदावार मिल सकती है. मेथी की पत्तियों को सुखाकर भी बेचा जाता है. यदि मेथी की खेती वैज्ञानिक तरीके से की जाए तो 2-5 लाख रुपए प्रति हेक्टेयर कमाया जा सकता है.

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