बुधवार, 15 फ़रवरी 2023

पालक की खेती Palak Ki Kheti (Spinach farming)

पालक की खेती (Spinach farming)



यह एक ऐसी सब्जी है जिससे कम समय में और कम खर्च में अधिक मुनाफा कमाया जा सकता है. (Palak Ki Kheti) .

पालक के पत्तों में आयरन, प्रोटीन, खनिज-लवण और एंटीऑक्सीडेंट प्रचूर मात्रा में पाए जाते हैं. इसका सेवन शरीर के लिए काफी लाभदायक है. यह पाचन के लिए, त्वचा, बाल, आंखों और दिमाग के स्वास्थ्य के लिए अच्छा माना गया है. इसका पकौड़े बनाने, सलाद, साग, रायता बनाने के लिए किया जाता है.


जलवायु (Climate)

पालक की खेती के लिए सर्दियों के मौसम को उत्तम माना गया है.

बीज अंकुरण के लिए 20 डिग्री तापमान होना चाहिए.

पालक की पत्तियाँ अधिकतम 30 डिग्री तथा न्यूनतम 5 डिग्री तापमान को आसानी से सहन कर लेती है.

सर्दियों के मौसम में गिरने वाले पाले को इसके पौधे आसानी से सहन कर लेते है.

मिटटी का ph 6.0 और 6.7 के बीच होना चाहिए.

खेत में उचित जल निकासी की उचित व्यवस्था होनी चाहिए.

खेत की तैयारी (Field Preparation) 

पालक की खेती के लिए पहली जुताई मिट्टी पलटने हाल से करें. जिससे खेत में मौदूज खरपतवार और कीट नष्ट हो जाए 

खाद डालने के बाद खेत की मिट्टी पलटने वाले हल से जुताई करें.

इसके बाद कल्टीवेटर से खेत की 2-3 बार आडी-तिरछी गहरी जुताई कर खेत को पाटा लगाकर समतल कर लें.

पालक की खेती में बुआई का समय (Spinach Cultivation Sowing Time) 

रबी में\sबुआई का समय: 1 सितंबर से 31 दिसंबर के बीच\sफसल अवधि: 40 से 50 दिन

जायद में\sबुआई का समय: 1 फ़रवरी से 31 मार्च के बीच\sफसल अवधि: 35 से 50 दिन

पालक की उन्नत किस्में (Improved Varieties of Spinach) 

Pakistani Green: बिजाई के 30 से 35 दिन बाद यह वैरायटी तैयार हो जाती है इसका रंग गहरे चमकीले रंग का होता है. इससे औसतन पैदावार 125 क्विंटल प्रति एकड़ तक हो जाती है.

(Pusa Palak) 40 to 45,  इसमें जल्दी से फूल वाले डंठल बनने की समस्या नहीं आती है.

The following (Pusa Green): इस किस्म के पौधे ऊपर की तरफ बढ़ने वाले, ओजस्वी, गहरे हरे रंग के और बड़े आकार की पत्तियाँ होती है.

(All green) इस फसल से 6 से 7 कटाइयां आसानी से ली जा सकती है.

बनर्जी जाइंट: इस वैरायटी के पत्ते काफी बड़े, मोटे, तथा मुलायम होती है.

जोबनेर ग्रीन: इस किस्म के पत्ते एक समान हरे , बड़े , मोटे , रसीले तथा मुलायम होते है.

पालक की अन्य वैरायटी: हिसार सलेक्शन-23, पूसा ज्योति, पंजाब सलेक्शन, पंजाब ग्रीन

पालक की खेती के लिए बीज की मात्रा (Seed rate for spinach cultivation) 

पालक की एक एकड़ फसल के लिए 8 से 10 किलोग्राम पालक के बीज (Spinach seeds) की आवश्यकता होती है

पालक के बीज उपचार (Spinach Seed Treatment) 

बीज अंकुरण की प्रतिशतता बढ़ाने के लिए बुवाई से पहले बीज को उपचारित करना चाहिए. लेकिन बुवाई के लिए हाइब्रिड बीज को उपचारित करने की कोई जरुआत नहीं है सीधे इसकी बुवाई कर सकते है. यदि बीज घर पर बनाया है तो बीज को उपचारित करने की आवश्यकता होती है बीज को कार्बेन्डाजिम 2 ग्राम + थिरम 2 ग्राम प्रति किलोग्राम बीज के हिसाब से उपचारित करें. इससे बीजों के अंकुरण की क्षमता बढ़ती है

पालक की बुआई का तरीका (Spinach Sowing Method) 

पालक की बुवाई के दौरान पौधे से पौधे की दूरी 1 से 1.5 सेमी और पंक्ति से पंक्ति की दूरी 10 से 20 सेमी होनी चाहिए. नमी के हिसाब से बीज को 2.5 सेमी की गहराई से बुवाई करें.



पालक की खेती उर्वरक व खाद प्रबंधन (Spinach Farming Fertilizer and Manure Management) 

पालक की बुवाई के समय 10 किलोग्राम नाइट्रोजन, 20 किलोग्राम फॉस्फोरस व 25 किलोग्राम पोटाश को प्रति एक एकड़ के हिसाब से खेत में डालें\sबुवाई के 20 से 25 दिनों बाद: फसल में 20 किलोग्राम यूरिया को प्रति एकड़ के हिसाब से डालें.

पालक की खेती में सिंचाई (Irrigation in Spinach Cultivation)

गर्मी के महीने में, 4-6 दिनों के फासले पर सिंचाई करें

सर्दियों में 10-12 दिनों के फासले पर सिंचाई करें

पालक की खेती के लिए ड्रिप सिंचाई लाभदायक सिद्ध होती है.

पालक की फसल के लिए खेत में पर्याप्त नमी बने रहना चाहिए.

पालक की फसल में खरपतवार नियंत्रण

खरपतवार नियंत्रण के लिए पालक की फसल में नराई/गुड़ाई करनी चाहिए. खरपतवार नियंत्रण के लिए फसल में रासायनिकों का इस्तेमाल अपने कृषि वैज्ञानिक की सलाह पर छिड़काव करें.

मैलाथियॉन के छिड़काव के 7 दिनों के बाद कटाई करें\sपत्तों पर गोल धब्बे:- यदि पालक की पत्तियों पर छोटे गोलाकार धब्बे और पत्तों पर के किनारों पर सलेटी और लाल रंग के धब्बे दिखाई देते हैं, तो कार्बेनडाजिम 400 ग्राम या इंडोफिल एम-45, 400 ग्राम को 150 लीटर पानी में मिलाकर प्रति एकड़ में छिड़काव करें. आवश्यकतानुसार 15 दिनों के अंतराल पर दूसरी छिड़काव करें.


मशरूम की उन्नत खेती कैसे करें

मशरूम की उन्नत खेती कैसे करें Mushroom Ki Kheti



यहाँ पर हम मशरूम की तीन वैरायटी की बारे चर्चा करेंगे जो कि कम लागत में अच्छी उपज देती हैं |

(Mushroom Ki Kheti) - जैसे-जैसे मनुष्य मानसिक एवं आधुनिक युग की तरफ अग्रसर होता जा रहा है ठीक उसी तरह से शरीर के लिये पोषक-तत्व युक्त, गुणकारी, स्वादिष्ट, उपयोगी सब्जी भी अपने भोजन में लेना पसन्द करता है ।


मशरूम के फायदे हैं Benefits of Mushroom

ऐसी सब्जी जिसमें अधिक से अधिक गुण व उपयोगी हो, वह सब्जी केवल ”मशरूम सब्जी” ही कही जा सकती है क्योंकि यह सब्जी काफी मात्रा में प्रोटीन, खनिज लवण, विटामिन ‘बी’, ‘सी’ व ‘डी’ उपलब्ध कराती है । मशरूम खाने में बहुत स्वादिष्ट एवं पाचनशील होती है । यहां तक कि इसमें फल और सब्जी की तुलना में प्रोटीन की अधिक मात्रा होती है ।



इसमें फोलिक-अम्ल की उपलब्धता शरीर में रक्त बनाने में अधिक मदद करती है । इसका सेवन मनुष्य के रक्तचाप, हृदयरोग, रक्त की कमी को पूरा करने मे लाभकारी रहता है ।

मशरूम का उपयोग अनेक भोज्य पदार्थों में किया जाता है । यह आजकल अधिक प्रचलित होने से लगभग सभी स्थानों में उपलब्ध होती है । (Mixed Vegetables) -

इसके अतिरिक्त दाल, राजमा, आलू टमाटर, मटर आदि के साथ सब्जी के रूप में खाते हैं तथा सूप चावल के साथ पुलाव तथा चाइनीज-फूड में अधिक प्रयोग किया जाता है । इसको कई स्थानों पर खुम्भी के नाम से भी जानते हैं ।


मशरूम की खेती में सावधानियां (Mushroom Ki Kheti) (Mushroom Ki Kheti)

मशरूम की खेती के लिये कुछ मुख्य विशेष सावधानियां हैं जिनकी जानकारी आवश्यक है । क्योंकि इस सब्जी की खेती में अन्य सब्जियों की खेती से भिन्न कृषि-क्रियाएं अपनानी पड़ती हैं । जैसे- विशेषत: तापमान का नियन्त्रण एवं खाद-मिट्‌टी का मिश्रण जिसमें पूर्णत: पोषक तत्व उपलब्ध रहें ।


मशरूम की खेती की ट्रेनिंग (Mushroom Ki Kheti) (Mushroom Ki Kheti), (Training)

जैसे-

दिल्ली क्षेत्र के कृषकों एवं मशरूम उत्पादकों के लिये – माइकोलोजी एंड प्लान्ट पेथोलोजी डिवीजन, भारतीय कृषि अनुसंधान संस्थान, नई दिल्ली तथा स्नोव्यू मशरूम लैब एंड ट्रेनिंग सेन्टर, गांधी आश्रम, नरेला, दिल्ली-40 आदि ।

राष्ट्रीय खुम्बी अनुसंधान केन्द्र, चंबा घाट, सोलन, हिमाचल प्रदेश ।

मशरूम अनुसंधान केन्द्र, गो. ब. पंत कृषि एवं प्रौद्योगिक विश्वविद्यालय पंतनगर, उत्तरांचल ।